रात को राधा सो रही थी, लेकिन मोहन को नींद नहीं आ रही थी और वह लगातार राधा को देख रहा था, उसे उसकी आंखों से नहीं हटा सकता था। फिर उसने राधा की ओर मुड़कर देखा, जब राधा ने उसे मुश्किल समय में सहायता करने का ध्यान दिया, तो उसने धीरे से उसकी गाल पर चुंबन देने की कोशिश की, लेकिन फिर उसने रुक जाकर उससे दूर हो गया। उसने दावा किया कि राधा को कल तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि उसे उसके दिल में किस तरह की भावना है, वह उसे बताएगा और वे इस रिश्ते को आगे बढ़ाएंगे, राधा और मोहन अपने जीवन के बाकी समय के लिए एक हो जाएंगे। उसने उसके बालों को सही किया और फिर धीरे से उसकी माथे पर चुंबन देने की कोशिश की, जबकि वह अभी भी सो रही थी। उसने राधा को शुभ रात्रि कहा और सो गया, राधा की आंखों से एक बूँद आंसू टपक पड़ा और वह उसके आगे मोहन की ओर मुड़ी, जिसने सो जाते हुए थे। वह मुस्कराने लगी और उसके दिल के बारे में उसने क्या कहा उसे समझने में उसे सक्षम नहीं थी, वह भी मोहन की ओर मुड़ी और मुस्कराने लगी।
तुलसी गुंगुन के साथ बैठी हुई थी और उसे भी यह जानना था कि इन पत्रों में क्या लिखा है, गुंगुन को लगा कि वह उनमें लिखे गए हैं तो तुलसी ने उसे रोका क्योंकि उसने वादा किया था कि वह राधा के साथ ही उन्हें पढ़ेंगी। गुंगुन ने सोचा कि एक बार अकेले में उन्हें पढ़ लेती है फिर उन्हें राधा के साथ भी पढ़ेंगी, और उसने उस पत्र को पढ़ना शुरू किया जिसमें राधा को बधाई दी गई थी, तुलसी बहुत खुश थी और फिर सोचा कि उसे दामिनी और कवेरी मासी पर नज़र रखनी चाहिए क्योंकि वे कुछ न कुछ साज़िश रच रहे होंगे। जैसे ही वह निकलने को होती है, गुंगुन को अचानक यह अज़ीब लगता है, वह उस पत्र को पढ़ती है जिसमें लिखा है कि जब तक उस औरत ने उनके जीवन पर नज़र नहीं डाली थी तब तक उनका जीवन खुशियों से भरा था। गुंगुन सोचती है कि यह उसकी मां के बारे में हो सकता है, और वह पत्र पढ़ने के बाद बहुत घबराई हुई है, उसे लगता है कि यह सब झूठ है और रमा कभी भी ऐसा कुछ नहीं कर सकती। तुलसी गुंगुन से कहती है कि वह इन पत्रों में लिखे हुए को समझ नहीं सकती है, और उसे कहती है कि रोने से कुछ नहीं होगा। गुंगुन सभी पत्रों को बॉक्स में बंद कर देती है और रोने लगती है, वह पत्रों पर झटका मारती है और तुलसी से पूछती है कि इन पत्रों में क्या लिखा है। लेकिन गुंगुन उन्हें पढ़ने नहीं देने के लिए कहती है कि रमा ऐसा कभी नहीं कर सकती। तुलसी गुंगुन से गुजारिश करती है कि रोना बंद करें क्योंकि उसे इन पत्रों में लिखे हुए को समझने में नहीं आ रहा है, गुंगुन सभी पत्रों को बॉक्स में बंद कर देती है और रोने लगती है, लेकिन कुछ समय बाद वह सो जाती है। तुलसी सोचती है कि गुंगुन राधा के नाम लेने के बाद क्यों रो रही थी, वह इन पत्रों को पढ़ने की सोचती है लेकिन सोचती है कि अगर वह बॉक्स छीन लेती है तो गुंगुन को डर सकता है, तुलसी बा कई बिहारी जी से विनती करती है कि राधा और मोहन के रिश्ते में कुछ गलत न होने दें क्योंकि वे अभी तो सिर्फ आगे बढ़ने लगे हैं। तुलसी बॉक्स को देखती है और सोचती है कि इन पत्रों में क्या लिखा है, वह गुंगुन सो जाती है। तुलसी बॉक्स को उठाने की कोशिश करती है जिससे गुंगुन उससे डर सकती है, तुलसी उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वह रुष्ट हो जाती है।
सुबह राधा पूजे के रस्मों के दौरान पूरे परिवार के साथ लम्बे समय तक विराजमान होती है, वह गाना भी शुरू कर देती है, कदंबरी भी आनंदित हैं जब उन्होंने देखा कि मोहन भी राधा को देखते हुए मुस्करा रहे हैं, उन्होंने संकेत किया है कि इस पर शर्म करने की कोई ज़रूरत नहीं। गुंगुन अभी भी अपने कमरे में सो रही थी जब उसने उठकर देखा कि उसके पास पत्रों की डब्बा रखी गई है, उसे बड़ी चिंता हुई जब उसने इन पत्रों में क्या पढ़ा है, वह सोचती है कि राधा ने उसकी मां के साथ ऐसा क्यों किया, तुलसी गुंगुन को समझाने की कोशिश कर रही है कि उसने उन पत्रों को नहीं लिखा, गुंगुन जाने की कोशिश कर रही है कि वह इन पत्रों के बारे में सभी को बताने होंगे।
राधा अभी भी गाना गा रही है जब पूरे परिवार के साथ मिलकर आनंद उठा रहे हैं, दामिनी कवेरी से कहती है कि उनकी योजना शुरू हो गई है और वह गुंगुन को देख रही है, कवेरी मुस्कराती हुई गुंगुन को देख रही है जो राधा की ओर तनी हुई है। दामिनी गुंगुन से बदले की उम्मीद रख रही है।
राधा आख़िरकार रस्म को पूरा करके मूर्ति स्थापित करती हैं, पड़ोसियों ने भी राधा की तारीफ की है कि उन्होंने इतनी सुंदर मूर्ति बनाई है, कदंबरी भी कहती हैं कि पिछले साल भी उसने बहुत सुंदर मूर्ति बनाई थी और उसने कभी किसी को ऐसी सुंदर मूर्ति बनाते देखा नहीं था। तुलसी गुंगुन से कहती हैं कि वह राधा से बात करें क्योंकि उसे उससे डरने की ज़रूरत नहीं है।
मोहन आकर कहता हैं कि राधा वह सब कुछ कर रही हैं जो पिछले साल किया था, उसने घर सजाया, बाज़ार में मूर्ति ख़रीदी और उसने व्रत भी रखा, इस सब को देख कर केतकी और कदंबरी दोनों ही चौंक गई। मोहन कहता हैं कि राधा बहुत चालाक हैं और आज तो यह उसके लिए पहला व्रत नहीं हैं, बल्कि दूसरा हैं, पिछले साल उसने उसे व्रत रखवाया था और उसने उसे उसे व्रत तोड़ दिया था, इस सुनते ही कदंबरी चौंक जाती हैं जबकि राधा बहुत घबराई हुई होती हैं। मोहन कहता हैं कि राधा बहुत चालाक हैं, कदंबरी कहती हैं कि सब कुछ उसके सामने हो रहा था लेकिन उसको कुछ पता नहीं था, मोहन राधा को बुलाता हैं लेकिन कहता हैं कि अब वह उसे देखने वाली नहीं होगी।
गुंगुन अभी भी बहुत घबराई हुई हैं कि इन पत्रों के बारे में उसे किससे बताएँ, वह विश्वनीयत को देखती हैं जो आ रहे हैं तो सोचती हैं उसे सब कुछ बता दें। तुलसी गुंगुन को रोकती हैं लेकिन वह उससे दूर भागती हैं, विश्वनीयत से बात करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन वह उससे बात नहीं करने देगा क्योंकि उसे उसे पूजा के लिए तैयार होने का वक्त हो गया हैं, गुंगुन अजीत के पास जाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उसे भी इस दिन हार नहीं मानने देगा क्योंकि वह पूजा की हार तैयार करने में व्यस्त हैं। तुलसी कहती हैं कि उन्होंने जो पत्रों में पढ़ा वह झूठ हैं और ऐसी कोई घटना नहीं हुई, वह सोचती हैं कि इसके पीछे कौन हैं, वह दामिनी को शक करती हैं लेकिन उसे यह कैसे पत्र लिख सकती हैं और ये पत्र उसके घर कैसे पहुंचे, वह रोती हुई हैं।
सुबह को राधा पूजे के रस्म के दौरान पूरे परिवार के साथ लम्बे समय तक विराजमान होती हैं, दामिनी कवेरी से कहती हैं कि उनकी योजना शुरू हो गई है और वह गुंगुन को देख रही है, कवेरी मुस्कराती हुई गुंगुन को देख रही हैं जो राधा की ओर तनी हुई हैं। दामिनी गुंगुन से कहती हैं कि उसे अब बदला चाहिए। लेकिन बिच में केतकी ख़फ़ा हो जाती हैं और उन्हें दोनों को डांटती हैं कि उन्हें इस तरह का कुछ भी नहीं करना चाहिए, दामिनी हेरान हो जाती हैं कि केतकी इतने गुस्से में कैसे हैं, जबकि राधा बहुत घबराई हुई होती हैं। दामिनी और कवेरी का प्लान फेल हो जाता हैं, केतकी के रूप में हवा निकल जाती हैं।
इसके बाद, गुंगुन अभी भी अधीर हुई हुई होती हैं, वह सोचती हैं कि किससे ये पत्रों के बारे में बात करें, वह विश्वनीयत को देखती हैं जो आ रहे हैं, लेकिन उसे समझाने नहीं देगा। तुलसी गुंगुन को रोकती हैं लेकिन वह उससे दूर भागती हैं, विश्वनीयत से बात करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन वह उससे बात नहीं करने देगा। गुंगुन अजीत के पास जाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उसे भी इस दिन हार नहीं मानने देगा। तुलसी कहती हैं कि उसे पत्रों में लिखा गया सब झूठ हैं और राधा ने कुछ ऐसा नहीं किया हैं, वह सोचती हैं कि इसके पीछे कौन हैं, वह दामिनी को शक करती हैं लेकिन उसे यह कैसे पत्र लिख सकती हैं और ये पत्र उसके घर कैसे पहुंचे, वह रोती हुई हैं।
सुबह को राधा पूजे के रस्म के दौरान पूरे परिवार के साथ लम्बे समय तक विराजमान होती हैं, दामिनी कवेरी से कहती हैं कि उनकी योजना शुरू हो गई है और वह गुंगुन को देख रही है, कवेरी मुस्कराती हुई गुंगुन को देख रही हैं जो राधा की ओर तनी हुई हैं। दामिनी गुंगुन से कहती हैं कि उसे अब बदला चाहिए। लेकिन बिच में केतकी ख़फ़ा हो जाती हैं और उन्हें दोनों को डांटती हैं कि उन्हें इस तरह का कुछ भी नहीं करना चाहिए, दामिनी हेरान हो जाती हैं कि केतकी इतने गुस्से में कैसे हैं, जबकि राधा बहुत घबराई हुई होती हैं। दामिनी और कवेरी का प्लान फेल हो जाता हैं, केतकी के रूप में हवा निकल जाती हैं।
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